Thursday 13 December 2012

परिवार-सरकार एक साथ संभाल रहीं महिला पंचायत प्रतिनिधि


रामगढ़: पंवायत चुनाव ने महिलाओं को घर की चारदिवारी से निकलकर बड़ी जिम्मेवारियां संभालने का सुनहरा अवसर प्रदान किया है। पहली बार बड़ी संख्या में चुनकर आयीं झारखंड की महिला पंचायत प्रतिनिधियों ने अपनी योग्यता और नेतृत्व क्षमता का एहसास भी कराना शुरू कर दिया है। सबसे बड़ी बात यह है कि इन महिला प्रतिनिधियों पर दोहरी जिम्मेवारी आ गयी है। उन्हें पंचायत के जरिये राज्य की तीसरी सरकार को संभालने के साथ ही अपने घर-परिवार को संभालने का दायित्व भी है। आम तौर पर पुरुष जनप्रतिनिधियों को कोई बड़ा दायित्व मिलने के बाद पारिवारिक दायित्वों से कमोबेश मुक्ति मिल जाती है। लेकिन महिलाओं के लिए ऐसा शायद ही संभव हो पाता है।
इसका एक उदाहरण है यह तसवीर। रामगढ़ जिला समाहरणालय में 08-12-12 को महिला पंचायत प्रतिनिधियों की एक कार्यशाला में एक प्रतिनिधि अपने बच्चे को भी संभाल रही हैं। आखिर वह किसके भरोसे घर पर छोड़ दें अपने लाडले को?
महिलाओं के अपसारण या वुमेन ट्रेफिकिंग को रोकने में पंचायत प्रतिनिधियों की भूमिका पर यूएन वुमेन तथा राज्य महिला आयोग द्वारा यह कार्यशाला आयोजित की गयी थी। दीया सेवा संस्थान की सीता स्वांसी एवं बैजनाथ कुमार के नेतृत्व में हुई इस कार्यशाला में झारखंड पंचायत महिला रिसोर्स संेटर के राज्य समन्वयक डाॅ. विष्णु राजगढि़या ने महिला अपसारण रोकने में मीडिया एवं आरटीआइ की उपयोगिता पर प्रकाश डाला। जिला पंचायत पदाधिकारी ने पंचायत प्रतिनिधियों के अधिकारों पर प्रशिक्षण दिया।

कई बार ऐसे प्रशिक्षणों में सहभागियों की वांछित संख्या का अभाव दिखता है। लेकिन इस कार्यशाला में शामिल होने को लेकर महिला प्रतिनिधियों का उत्साह इस बात से समझा जा सकता है कि आयोजकों ने तीस प्रतिभागियों के लिए व्यवस्था की थी जबकि कार्यक्रम प्रारंभ होने से पहले ही लगभग सत्तर प्रतिनिधि आ चुकी थीं। ऐसे में प्रतिभागियों के बैठने के लिए अतिरिक्त कुरसी का इंतजाम करना वहां मौजूद पदाधिकारियों अथवा कर्मचारियों के लिए संभव नहीं हो पर रहा था। इसके कारण कुछ महिला प्रतिनिधियों में निराशा की भी स्थिति देखी गयी। इस संकट का पता लगने पर एक स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता विक्की कुमार ने पहल की और एक टेंट हाउस से 30-40 कुरसियां लाकर सभी प्रतिभागियों को कार्यशाला में शामिल होने की सुविधा प्रदान की।


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