Thursday 11 July 2013

पहली वर्षगांठ पर सेमिनार का निमंत्रण

जुलाई 2013 में झारखंड पंचायत महिला रिसोर्स सेंटर ने अपना पहला वर्ष पूरा कर लिया है। सर्ड, यूनिसेफ, झारखंड राज्य महिला आयोग एवं मंथन युवा संस्थान की संयुक्त पहल से संचालित यह सेंटर राज्य ग्रामीण विकास संस्थान, साउथ कैंपस, काजू बगान, हेहल, रांची में स्थापित है।

पहली वर्षगांठ के मौके पर 25 जुलाई 2013 को होटल अशोका, डोरंडा रांची में सुबह दस बजे से एक सेमिनार का आयोजन किया गया है। इसमें झारखंड पंचायत महिला रिसोर्स सेंटर की गतिविधियों एवं उपलब्धियों के साथ ही झारखंड में पंचायती राज संस्थाओं को विभिन्न विभागों द्वारा प्रदान की गयी शक्तियों पर विचार किया जायेगा। इस सेमिनार में विशिष्ट वक्ता के रूप में इंडियन सोशल इंस्टीट्यूट, नई दिल्ली के निदेशक श्री जार्ज मैथ्यू शामिल होंगे। श्री मैथ्यू पंचायती राज के जाने-माने विशेषज्ञ हैं।

इस सेमिनार में विभागीय नामांकन के आधार पर आमंत्रण भेजा जा रहा है। इसमें कुछ पंचायत प्रतिनिधियों, पंचायत से जुड़े एनजीओ व पदाधिकारियों को आमंत्रित किया गया है।

अगर आप इस सेमिनार में शामिल होना चाहते हों तो कृपया 18 जुलाई तक ई-मेल द्वारा jpwrc4@gmail.com    पर अथवा मोबाइल संख्या 9431120500 पर अपना नाम, पद, पता एवं संपर्क विवरण अवश्य उपलब्ध करा दें ताकि आपको विधिवत आमंत्रण भेजा जा सके।

झारखंड में पंचायती राज संस्थाओं को प्रभावी बनाने की दिशा में आपके सुझावों का स्वागत है।

Sunday 16 June 2013

Training for PRIs at Ramgarh

14 to 16 June 2013, Ramgarh DC Office Campus



झारखंड पंचायत महिला सम्मान समारोह

क्या नाम बताया ... दोरोथिया, अच्छा तो तुम ही एलएलएम कर रही हो ना? 
श्री मधुकर गुप्ता के इस सवाल पर खिलखिला उठी रांची के आरा पंचायत की मुखिया दोरोथिया दयामनी एक्का। राज्यपाल के सलाहकार के इस सवाल से स्पष्ट हो गया कि विमोचन से पहले उन्होंने पंचायत की पगडंडी पुस्तक को भलिभांति पढ़ भी लिया है। श्री गुप्ता के संबोधन में भी यह बात सामने आयी। उन्होंने अगला खंड पंचायत का महामार्ग के नाम से निकालने की सलाह दी है।
झारखंड पंचायत महिला सम्मान समारोह की तसवीर।


पंचायत की पगडंडी का विमोचन

झारखंड की 34 महिला पंचायत प्रतिनिधियों की गुड प्रेक्टिसेस पर सर्ड एवं यूनिसेफ ने एक पुस्तक प्रकाशित की है। पंचायत की पगडंडी शीर्षक इस पुस्तक का संपादन मेरे लिए सुखद अनुभव रहा। इस का विमोचन 12 जून को सर्ड में 10.30 बजे श्री मधुकर गुप्ता, माननीय राज्यपाल के सलाहकार ने  किया 
इस दौरान इन 34 महिला पंचायत प्रतिनिधियों को सम्मानित किया गया-
1. श्रीमती सुमिता दास, जिला परिषद सदस्य धनबाद
2. दोरोथिया दयामनी एक्का, मुखिया, आरा पंचायत, (रांची)
3. श्रीमती राधा देवी, प्रमुख, गिरिडीह
4. श्रीमती चम्पा देहरी, मुखिया, बेहराबांक पंचायत, दुमका
5. श्रीमती लीलावती देवी, मुखिया, चपका पंचायत (गुमला)
6. श्रीमती लीला सिंह, प्रमुख, धालभूमगढ़ (पू सिंहभूम)
7. श्रीमती अनीता देवी, मुखिया, गेतलसूद पंचायत (रांची)
8. श्रीमती मुनू चैडे, मुखिया, महुवाडाबर पंचायत (देवघर)
9. श्रीमती सुनीता देवी, मुखिया, टुटकी पंचायत (रांची)
10. श्रीमती पूनम देवी, मुखिया, डकाय पंचायत (देवघर)
11. श्रीमती किरण पहान, मुखिया, टाटी पूर्वी पंचायत, (रांची)
12. श्रीमती उर्मिला कुमारी, प्रमुख, सतबरवा (पलामू)
13. सुश्री तनूजा कुमारी, उपप्रमुख, कुरडेग (सिमडेगा)
14. श्रीमती फूलमैत देवी , मुखिया, सिसी करमटोली, (गुमला)
15. श्रीमती आदुरी दण्डपार, पंचायत समिति सदस्य, घाटशिला
16. श्रीमती कमरिता देवी, मुखिया, सेरका, बिशुनपुर (गुमला)
17. श्रीमती ओबिनास सोरंेग, मुखिया, सालेगुटू पंचायत, (गुमला)
18. श्रीमती श्रुति देवगम, प्रमुख, घाटशिला प्रखंड, (पूर्वी सिंहभूम)
19. श्रीमती सलोमी बेसरा, मुखिया, बनियापसार पंचायत, (पाकुड़)
20. श्रीमती ज्योति मेराल, जिला परिषद सदस्य, पश्चिमी सिंहभूम
21. श्रीमती पुतुल पंतालो तिग्गा, मुखिया, ब्राम्बे पंचायत, मांडर
22. श्रीमती एमरेंसिया कुजूर, मुखिया, नाथपुर पंचायत, चैनपुर (गुमला)
23. श्रीमती अनु देवी, मुखिया, कुसुम्भा पंचायत, कटकमदाग (हजारीबाग)
24. सुश्री नीतू सिंह, मुखिया, सिलिदाग पंचायत, रमना (गढ़वा)
25. सुश्री रीता सुंब्रई, प्रमुख, चक्रधरपुर
26. श्रीमती अर्चना सिंह, मुखिया, नावाडीह पंचायत, देवघर
27. श्रीमती कलावती देवी, मुखिया, दोहाकातू पंचायत, (रामगढ़)
28. श्रीमती रोजदानी तिग्गा, मुखिया, इटकी पूर्वी पंचायत,
29. श्रीमती बुलु देवी, मुखिया, मरार पंचायत, रामगढ़ प्रखंड
30. श्रीमती शालिनी गुप्ता, प्रमुख, डोमचांच प्रखंड, कोडरमा
31. श्रीमती डाॅ पूर्णिमा चक्रवर्ती, मुखिया, लखनपहाड़ी पंचायत, गोड्डा
32. सुश्री रहीना बीबी, प्रमुख, डंडा प्रखंड, गढ़वा
33. श्रीमती पियो हांसदा, मुखिया, डुमरा पंचायत, सरायकेला
34. श्रीमती अर्चना मेहता, मुखिया, मुरामकलां पंचायत, रामगढ़

सर्ड, रांची में पीएमआरडीएफ की बैठक

आठ जून को सर्ड, रांची में पीएमआरडीएफ की बैठक थी। प्रधानमंत्री रूरल डवलपमेंट फेलोशिप के तहत उच्च शिक्षण संस्थाओं से निकले 33 नौजवानों को झारखंड के 17 आइएपी जिलों में भेजा गया है। झारखंड के योजना एवं विकास विभाग के सचिव अविनाश कुमार ने इन फेलोज के साथ लगभग पौने दो घंटे तक चर्चा की। बजट निर्माण एवं विकास संबंधी योजना बनाने एवं क्रियान्वयन के दौरान शासन-प्रशासन के विभिन्न अंगों के विचारों व हितों के टकराव के रूपों तथा इनके निराकरण की प्रक्रिया जैसे जटिल विषय आसान तरीके से समझाया। दिलचस्प यह कि अधिकांश उदाहरण गणित और सांख्यिकी से लिए। आइआइटीयन होने के नाते उन्होंने इनका सहारा लिया। जाहिर है, किसी भी चीज को देखने व बताने के लिए अपना परिवेश ही सहज है। आम आदमी को भी अपनी भाषा में अपनी बात कहने का मौका जाए, बस।

मनरेगा पर पुस्तक का विमोचन

मनरेगा पर पुस्तक का विमोचन आज राज्यपाल ने एटीआइ में किया। राजकमल प्रकाशन से आयी इस पुस्तक का नाम संगीतमय है- मन-रे-गा ......... इस धुन पर एक गीत भी है। चित्र में श्री एके पांडेय, श्री मधुकर गुप्ता, राज्यपाल डा सैयद अहमद, श्री विजय कुमार, श्री एके सरकार, श्री आरएस पोद्दार और मैं।

नागरिकों का एक समूह बने

जमशेदपुर जिला परिषद एवं घाटशिला पंचायत समिति की सदस्यों ने 13 एवं 14 मई को बताया कि पंचायती राज को लेकर प्रशासन गंभीर नहीं। हमें पंचायत प्रतिनिधियों की मदद करनी चाहिए। नागरिकों का एक समूह बने जो उन्हें लिखा-पढ़ी में मदद करे।




’’पंचायत की शक्तियां’’ का विमोचन

आठ मई को पुस्तक - ’’पंचायत की शक्तियां’’ का विमोचन हुआ। विकास भारती, रांची में ग्राम सरकार संवाद के दौरान पंचायती राज सचिव डा. राजीव अरुण एक्का के साथ श्री अशोक भगत, शिवशंकर उरांव और डा. अजय सिंह

Sunday 12 May 2013


झारखंड पंचायत महिला रिसोर्स सेंटर की टीम ने दो अप्रैल 2013 को रांची जिले के अनगड़ा प्रखंड की हेसल पंचायत का दौरा किया।
इस क्रम में नदीम अख्तर ने पब्लिक एजेंडा के लिए हेसल की मुखिया आशा देवी, पंचायत प्रतिनिधियों एवं कई जलसहिया से निर्मल भारत अभियान पर जानकारी लेकर यह रिपोर्ट लिखी है।
नदीम अख़्तर की रिपोर्ट        READ

Saturday 27 April 2013

पंचायत प्रशिक्षण और ग्राम योजना जरूरी: मधुकर गुप्ता

ग्राम योजना बनाने में मदद करेगा यूनिसेफ - जाब जकारिया
झारखंड की पंचायतों को पुरस्कार मिलना गर्व  - डा. राजीव 
आज ही शुरू करें अगले पुरस्कारों की तैयारी - आर. पी. सिंह 

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डा. विष्णु राजगढि़या

रांची दिनांक, 27 अप्रैल 2013 : राज्यपाल के सलाहकार श्री मधुकर गुप्ता ने झारखंड में पंचायती राज संस्थाओं को मजबूत करने के लिए प्रशिक्षण और ग्राम योजना निर्माण पर जोर दिया है। श्री गुप्ता आज टीआरआइ, मोरहाबादी में पंचायती राज दिवस समारोह को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि बुनियादी स्तर पर समग्र विकास मात्र सपना नही बल्कि हम सब का उद्देश्य है। विकास हेतु दृढ़ निश्चय एवं पूर्ण समर्पण के साथ कार्य आवश्यक है, जिसमें पंचायतों की सहभागिता अनिवार्य है। ग्रामीण स्तर पर स्वावलम्बन एवं आत्मनिर्भरता से ही विकास सम्भव है। अधिकार के साथ दायित्व भी जुड़े होते हैं। पंचायती विकास हेतु पंचायतों को संसाधन भी जुटाने होंगे। योजनाओं के क्रियान्वयन, अनुश्रवण इत्यादि पंचायत स्तर पर किए जाने हैं, इसके लिए पंचायतों के सशक्तिकरण एवं क्षमता विकास आवश्यक है।

उन्होंने कहा कि राजीव गाँधी पंचायत सशक्तिकरण अभियान के तहत पंचायतों को भवन, कम्प्यूटर अन्य आवश्यक सामग्री उपलब्ध कराए जाने की योजना है। जिसके तहत क्षमता विकास हेतु अनेक योजनाएं चलाई जा रही हैं। पंचायत प्रतिनिधियों को बुनियादी जानकारी दी जा चुकी है। उन्हें लेखा कार्य, कम्प्यूटर के संचालन इत्यादि में भी प्रशिक्षित किया जाएगा। विभाग इसके लिए सुनियोजित कार्यक्रम तैयार कर रहा है। क्षमता विकास एवं प्रशिक्षण हेतु राशि की कमी नही है, आवश्यकता है अच्छे ट्रेनिग माॅड्यूल बनाने की। गाँव के समग्र विकास का आधार पंचायत को बनना है। उन्होंने कहा कि झारखण्ड में पंचायतों के माध्यम से विकास के कार्य इस स्तर तक हों कि अन्य राज्य के लोग यहाँ के पंचायतों के कार्य प्रणाली को देखने झारखण्ड आएं। चार विभागों द्वारा पंचायत स्तर पर शक्ति का विकेन्द्रीकरण किया जा चुका है, शेष विभाग भी इस हेतु प्रयासरत हैं।

पंचायती राज विभाग के सचिव डा. राजीव अरूण एक्का ने कहा झारखंड के धनबाद एवं देवघर जिले की पंचायतों को मिले राष्ट्रीय पुरस्कार को राज्य के लिए गर्व का विषय बताया। उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में पंचायत सरकार महत्वपूर्ण अंग है। यह वह स्तर है जहाँ पर योजनाओं क्रियान्वयन किया जाना है। इसलिए पंचायतों को सशक्त करना जरूरी है।

सर्ड के निदेशक श्री आर. पी. सिंह ने कहा कि पंचायतों को सशक्तिकरण एवं क्षमता विकास हेतु सर्ड के माध्यम से अनेक कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। प्रत्येक वर्ष पंचायती राज दिवस 24 अप्रैल को नई दिल्ली में अच्छे कार्य हेतु पंचायतों को पुरस्कृत किया जाता है। इस वर्ष पंचायती राज दिवस पर छह पुरस्कार झारखण्ड के पंचायत प्रतिनिधियों को मिले हैं। अन्य पंचायतों से समय पर नाॅमिनेशन नहीं हो पाने के कारण और पुरस्कार नही मिल सके। जब तिथि निर्धारित है तो इसके लिए प्रयास पूर्व से ही आरम्भ कर दिए जाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि हम आज से ही ऐसे प्रयास शुरू कर दें ताकि अगले साल झारखंड को इससे भी ज्यादा पुरस्कार मिल सकें। सर्ड निदेशक ने बताया कि सर्ड, यूनिसेफ, महिला आयोग एवं मंथन युवा संस्थान की पहल पर सर्ड परिसर में झारखंड पंचायत महिला रिसोर्स सेंटर स्थापित किया गया है जिसके माध्यम से खास तौर पर महिला पंचायत प्रतिनिधियों के सशक्तिकरण के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाये गये हैं।
राज्यपाल के सलाहकार श्री मधुकर गुप्ता ने सर्ड के इन कदमों की सराहना करते हुए ऐसे प्रशिक्षण कार्यक्रमों को तीव्र गति से बढ़ाने की दिशा में हर संभव मदद का आश्वासन दिया।

यूनिसेफ के झारखण्ड प्रभारी श्री जाब जकारिया ने ग्राम योजना बनाने पर जोर देते हुए इस दिशा में यूनिसेफ के प्रयासों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि विकास के विभिन्न स्तर होते हैं। इनमें सामाजिक, आर्थिक एवं मानव विकास को महत्वपूर्ण माना जाता है। किसी भी विकास के लिए उससे संबंधित लोगों का सशक्तिकरण आवश्यक होता है। पंचायतें तभी सशक्त होंगे जब हर गांव, हर परिवार, हर महिला और हर पंचायत प्रतिनिधि सशक्त हो। श्री जकारिया ने कहा कि पंचायतों के सशक्तिकरण के तीन मापदंड को कार्य, कर्मी एवं कोष यानी तीन एफ के आधार पर देखा मापा जाता है। इसके लिए राष्ट्रीय स्तर का एक सत्ता विकेंदीकरण सूचकांक बनाया जाता है। पिछले साल झारखंड 21 वें नंबर पर था। लेकिन हाल के दिनों में पंचायतों को मिले अधिकारों तथा जल्द ही मिलने वाले अधिकारों के जरिये अगले वर्ष के सूचकांक में झारखंड काफी बेहतर कर सकता है।
श्री जकारिया ने कहा कि आम बोलचाल में लोग कहते हैं कि देश में तीन एम सबसे ज्यादा ताकतवर हैं- पीएम, सीएम और डीएम। लेकिन अब चैथा एक यानी जीएम यानी ग्राम पंचायत का मुखिया भी इन ताकतवर लोगों की सूची में आ चुका है।
श्री जकारिया ने पंचायतों के सशक्तिकरण में यूनिसेफ की भूमिका की चर्चा करते हुए कहा कि पंचायतों के विकास के लिए हर गांव की अपनी विकास योजना बनाना बेहद जरूरी है। राज्य के सभी 35 हजार गांवों की ऐसी योजना बनानी  चाहिए। उन्होंने ऐसी योजनाओं को सार्वजनिक करने तथा इंटरनेट पर डालने का भी सुझाव दिया। श्री जकारिया ने कहा कि ग्राम योजना निर्माण के क्रियान्वयन एवं पर्यवेक्षण में राज्य सरकार की मदद करने के लिए यूनिसेफ तैयार है।

यूनिसेफ की न्युट्रिशन अधिकारी श्रीमती अनुपम श्रीवास्तव ने पूर्वी सिंहभूम जिले में ग्राम, प्रखंड एवं जिला स्तर पर योजना निर्माण संबंधी अनुभवों पर चर्चा की। एडीशनल पीसीसीएफ श्री यू. आर. विश्वास ने वन प्रबंधन एवं लघु वन उपज संबंधी मामलों में पंचायतों की भूमिका पर प्रकाश डाला।

कार्यक्रम के दौरान कुछ पंचायत प्रतिनिधियों ने शिकायत की कि कृषि एवं गन्ना विकास द्वारा पंचायतों को अधिकार सौंपे जाने के बावजूद जिले के अधिकारी इसे नहीं मान रहे हैं। उनका कहना है कि उन्हें अब तक ऐसा कोई आदेश नहीं मिला है। इस पर पंचायती राज सचिव डाॅ राजीव अरुण एक्का ने पंचायतों को मिले अधिकारों एवं कर्तव्यों के संबंध में एक माह के भीतर एक विस्तृत एवं सर्वांगीण आदेश निर्गत करने का आश्वासन दिया।

उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय स्तर पर पायस कार्यक्रम के तहत झारखंड के धनबाद एवं देवघर जिले को प्रोत्साहन राशि के बतौर कुल 1.16 करोड़ की राशि एवं पुरस्कार प्राप्त हुआ है। उन्हें यह पुरस्कार 24 अप्रैल को विज्ञान भवन नई दिल्ली में आयोजित पंचायत दिवस पर दिया गया। आज रांची में समारोह के दौरान श्री मधुकर गुप्ता ने पुरस्कृत छह पंचायतों के प्रतिनिधियों को विभाग की ओर से प्रशस्ति पत्र एवं पुरस्कार राशि का ड्राफ्ट सौंपा।

धनबाद जिला अन्तर्गत बारा अमोना पंचायत पलहारपुर पंचायत तथा देवघर जिला के गोमिया पंचायत को बारह-बारह लाख रूपये का पुरस्कार मिला है। पंचायत समिति निरसा, मधुपुर पंचायत समिति को बीस-बीस लाख रूपये तथा धनबाद जिला परिषद को चालीस लाख रूपये का पुरस्कार मिला है। इस राशि का उपयोग पंचायत के विकास हेतु किया जाना है।

कार्यक्रम का संचालन पंचायती राज विभाग के कंसल्टेंट श्री ओमप्रकाश एवं श्रीमती ऋचा ने किया। कार्यक्रम में पंचायत राज विभाग के पदाधिकारी श्री परमेश्वर भगत, श्री रामकुमार मंडल, श्री के.के.सिंह, श्री सलिल जी के साथ ही राज्य की विभिन्न पंचायतों के मुखिया, पंचायत समिति के अध्यक्ष, जिला परिषद के अध्यक्ष तथा अनेक स्वयंसेवी संस्थाओं के प्रतिनिधि एवं विभागीय पदाधिकारीगण उपस्थित थे।

Tuesday 23 April 2013

राष्ट्रीय पंचायत दिवस की शुभकामना

आज राष्ट्रीय पंचायत दिवस है। पंचायत के मामले में झारखंड लगभग 35 साल पीछे चल रहा है। 
32 साल तक चुनाव नहीं हुए और अब लगभग ढाई साल तक पंचायतों को कायदे से शक्तियां नहीं मिली हैं। 
इसके बावजूद झारखंड के लिए पंचायती राज एक बड़ी राहत है। पंचायतों को केंद्र और राज्य के बाद गांवों की सरकार का संवैधानिक दरजा है। 
यह तीसरी सरकार है। एक स्थिर और गतिमान सरकार। 
गांवों की सूरत बदलने में यह तीसरी सरकार लगातार क्रियाशील है। इसका असर आंशिक तौर पर दिखने लगा है। अभी अधिसरंचना बनने का दौर है। यह चरण पूरा होते ही पंचायती राज का जादू हर ओर दिखने लगेगा। 

राष्ट्रीय पंचायत दिवस की शुभकामना।

Wednesday 10 April 2013

पंचायत सदस्यों के ही पास है जादुई छड़ी
एक प्रमुख गलतफहमी यह है कि सारे अधिकार मुखिया, प्रमुख एवं जिप अध्यक्ष को मिले हैं. इसी भ्रम के कारण तीनों ही स्तर के कतिपय सदस्यों में मायूसी दिखती है. उन्हें लगता है कि उनके पास कोई शक्ति नहीं. उनकी इस गलत धारणा को वैसे लोग बढ.ावा दे रहे हैं, जो पंचायती राज को कमजोर संस्था बनाये रखना और मुखिया को बिचौलिया बनाना चाहते हैं. 

सच तो यह है कि पंचायत राज की जादुई छड़ी तो तीनों स्तर के सदस्यों के ही पास हैं. जरूरत है इसे सही तरीके से समझने और उसका सकारात्मक तरीके से उपयोग करके कुछ मॉडल पेश करने की, ताकि जो सदस्य अभी खुद को कमजोर समझ रहे हैं, उन्हें अपने शक्तियों का पता चल सके. वार्ड सदस्य, पंचायत समिति सदस्य एवं जिला परिषद सदस्य के अधिकारों एवं शक्तियों को समझने के लिए पंचायत राज अधिनियम एवं नियमावलियों को समझना जरूरी है. 

Tuesday 9 April 2013

झारखंड में पंचायत राज के दो साल पर कार्यशाला

कार्यशाला में यूनिसेफ के राज्य प्रमुख श्री जाब जकारिया ने पंचायत प्रतिनिधियों से स्पष्ट कहा कि आप कोई एनजीओ या प्राइवेट संगठन नहीं बल्कि खुद सरकार हैं। इस तरह आप प्रोटोकोल में संबंधित पदाधिकारियों एवं प्रशासन से ऊपर हैं। जिस तरह एक सरकार केंद्र में और दूसरी सरकार राज्य में होती है, ठीक उसी तरह तीसरी सरकार गांवों में है और पंचायत प्रतिनिधि उस सरकार को चलाने वाले हैं।

 श्री जकारिया ने अपने विचारों का निष्कर्ष बताते हुए तीन बिदंुओं पर जोर डाला -
1. सरकार की तरह आचरण करें - (बिहेव लाइक गवर्नमेंट)
2. अपने सपनों की सूची बनाएं - (विजन)
3. अपनी उपलब्धियां सामने लाएं - (सक्सेस स्टोरीज)
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गर्भधारण, प्रसव पूर्व निदान तकनीक लिंग चयन प्रतिषेध पर कार्यशाला
झारखंड राज्य महिला आयोग व यूनिसेफ की ओर से गर्भधारण और प्रसव पूर्व निदान तकनीक लिंग चयन प्रतिषेध अधिनियम 1994 पीसीपीएनडीटी अधिनियम पर राज्य स्तरीय सम्मेलन सह कार्यशाला का आयोजन किया गया।
विशेष अतिथि यूनिसेफ, झारखण्ड प्रमुख श्री जाॅब जकारिया ने चिंता जताते हुए कहा कि हमारे देश में कानूनन लिंग परीक्षण प्रतिबंधित है। पीसीपीएनडीटी एक्ट इसके लिए खास तौर पर बनाया गया है। पर कई कारणों से यह प्रभावी नहीं है। यूनाइटेड नेशंस की रिपोर्ट के मुताबिक देश में हर साल जन्म लेने से पहले ही साढ़े पांच लाख बेटियां मार दी जाती हैं। झारखण्ड में प्रतिवर्ष 11,000 लड़कियों का जन्म नहीं होने दिया जाता। पहले यहां बच्चों का लिंगानुपात राष्ट्रीय औसत से अधिक था। पर अब तेजी से गिर रहा है। वर्ष 2001 से 2011 के बीच इसमें 21 फीसदी की कमी आयी है। शहरी क्षेत्रों में स्थिति ज्यादा गंभीर है। यहां यह 69 अंक गिरा है। सबसे बुरी स्थिति बोकारो, धनबाद, पूर्वी सिंहभूम, हजारीबाग, रामगढ़, गिरिडीह रांची जिले की है।
श्री जकारिया ने कहा कि हम सब इस सच से वाकिफ हैं। पर मसला यह होता है कि आखिर हम कर क्या सकते हैं? दरअसल मूल मुद्दा है परिवार, समाज में महिलाओं के अधिकारों के बारे में सोच बदलने का। हमें पुरुषवादी मनोवृत्ति से उपर उठना होगा। बाल विवाह, घरेलू हिंसा, बाल श्रम और ऐसे ही अन्य दोषों के निषेध के लिए तमाम कायदे-कानून हैं। पर इतने भर से हल नहीं होने वाला। हमें महिलाओं, लड़कियों के हित में अपने नजरिये में बदलाव भी लाना होगा। पीसीपीएनडीटी एक्ट भर के लागू करने से लाभ नहीं है। बाल विवाह, दहेज प्रथा, बाल श्रम जैसे अपराध और उनके लिए बने कानूनों को भी साथ-साथ प्रभावी ढंग से लागू किए जाने पर ध्यान देना होगा। झारखण्ड सरकार ने 2012 में बिटिया बचाओ कार्यक्रम चलाया था। इस तरह के प्रयासों का स्वागत करना चाहिए और ऐसे ही काम लगातार होने चाहिए। 
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पंचायतों को मिली शक्तियां
रांची: 18 फरवरी 2013 - पंचायत प्रतिनिधियों को विभिन्न विभागों द्वारा प्रदत्त अधिकारों पर आज विकास भारती परिसर में राज्यस्तरीय प्रशिक्षण कार्यक्रम हुआ। यह कार्यक्रम विकास भारती तथा झारखंड पंचायत महिला रिसोर्स सेंटर के संयुक्त तत्वावधान में हुआ। वरिष्ठ पत्रकार हरिवंश ने कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए कहा कि झारखंड में जब अन्य संस्थाओं की कार्यक्षमता को लेकर गंभीर सवाल उठ रहे हों, तब पंचायती राज संस्थाओं से ही कोई नई उम्मीद की जा सकती है। उन्होंने कहा कि पंचायत प्रतिनिधियों को राज्य के त्वरित विकास की इच्छाशक्ति लेकर काम करना चाहिए ताकि राज्य को नया नेतृत्व मिल सके। REPORT

Wednesday 23 January 2013

गांवों की सरकार स्थिर एवं गतिमान है

झारखंड में  िकास की धीमी गति के पीछे राजनीतिक अस्थिरता को एक बड़ा कारण माना जाता है। एक बार फिर यहां राजनीतिक उथल-पुथल देखी जा रही है। लेकिन अब राहत देने वाली एक बात यह है कि पंचायती राज व्यवस्था लागू होने के कारण गांवों की सरकार स्थिर एवं गतिमान है। यह ग्रामीण विकास का आधार है। पंचायती राज संस्थाओं से जुड़े समस्त लोगों के लिए अपनी सकारात्मक पहल के जरिये झारखंड को विकास की दिशा में ले जाना एक बड़ी चुनौती है। 
इसके लिए अन्य राज्यों के सफल उदाहरणों को जानना-समझना उपयोगी होगा। यहां ऐसे कुछ लिंक दिये गये हैं जिन्हें क्लिक करके पढ़ा जा सकता है-


झारखंड में पंचायतों की गुड प्रेक्टिस के उदाहरण आमंत्रित हैं ताकि उन्हें हम संकलित कर सकें. 
Email ID- jpwrc4@gmail.com