आज राष्ट्रीय पंचायत दिवस है। पंचायत के मामले में झारखंड लगभग 35 साल पीछे चल रहा है।
32 साल तक चुनाव नहीं हुए और अब लगभग ढाई साल तक पंचायतों को कायदे से शक्तियां नहीं मिली हैं।
इसके बावजूद झारखंड के लिए पंचायती राज एक बड़ी राहत है। पंचायतों को केंद्र और राज्य के बाद गांवों की सरकार का संवैधानिक दरजा है।
यह तीसरी सरकार है। एक स्थिर और गतिमान सरकार।
गांवों की सूरत बदलने में यह तीसरी सरकार लगातार क्रियाशील है। इसका असर आंशिक तौर पर दिखने लगा है। अभी अधिसरंचना बनने का दौर है। यह चरण पूरा होते ही पंचायती राज का जादू हर ओर दिखने लगेगा।
राष्ट्रीय पंचायत दिवस की शुभकामना।
32 साल तक चुनाव नहीं हुए और अब लगभग ढाई साल तक पंचायतों को कायदे से शक्तियां नहीं मिली हैं।
इसके बावजूद झारखंड के लिए पंचायती राज एक बड़ी राहत है। पंचायतों को केंद्र और राज्य के बाद गांवों की सरकार का संवैधानिक दरजा है।
यह तीसरी सरकार है। एक स्थिर और गतिमान सरकार।
गांवों की सूरत बदलने में यह तीसरी सरकार लगातार क्रियाशील है। इसका असर आंशिक तौर पर दिखने लगा है। अभी अधिसरंचना बनने का दौर है। यह चरण पूरा होते ही पंचायती राज का जादू हर ओर दिखने लगेगा।
राष्ट्रीय पंचायत दिवस की शुभकामना।
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